
Himaŋshʋ Gʋpta: 3 years ago
होके मायूस ना यूँ शाम की तरह ढलते रहिये,
ज़िंदगी एक भोर है सूरज की तरह निकलते रहिये,
ठहरोगे एक पाँव पर तो थक जाओगे,
धीरे धीरे ही सही मगर राह पे चलते रहिये।
होके मायूस ना यूँ शाम की तरह ढलते रहिये,
ज़िंदगी एक भोर है सूरज की तरह निकलते रहिये,
ठहरोगे एक पाँव पर तो थक जाओगे,
धीरे धीरे ही सही मगर राह पे चलते रहिये।
