
Ür's Himaŋshʋ Gʋpta: 2 years ago
ख़ाली नही रहा कभी आँखों का ये मकान;
सब अश्क़ बाहर गये तो उदासी ठहर गई!
ख़ाली नही रहा कभी आँखों का ये मकान;
सब अश्क़ बाहर गये तो उदासी ठहर गई!
Ür's Himaŋshʋ Gʋpta: 2 years ago
ख़ाली नही रहा कभी आँखों का ये मकान;
सब अश्क़ बाहर गये तो उदासी ठहर गई!
ख़ाली नही रहा कभी आँखों का ये मकान;
सब अश्क़ बाहर गये तो उदासी ठहर गई!

Ür's Himaŋshʋ Gʋpta: 2 years ago
मेरी पलकों की नमी इस बात की गवाह है;
मुझे आज भी तुमसे मोहब्बत बेपनाह है!
मुझे आज भी तुमसे मोहब्बत बेपनाह है!

Ür's Himaŋshʋ Gʋpta: 2 years ago
हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सपना कहूँ;
तेरे हर दर्द को में अपना कहूँ;
सब कुछ क़ुर्बान है मेरे प्यार पर;
कौन है तेरे सिवा जिसे में अपना कहूँ!
तेरे हर दर्द को में अपना कहूँ;
सब कुछ क़ुर्बान है मेरे प्यार पर;
कौन है तेरे सिवा जिसे में अपना कहूँ!
